HINDI POETRY - AN OVERVIEW

Hindi poetry - An Overview

Hindi poetry - An Overview

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मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,

बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने,

बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला,

आह भरे वो, जो हो सुरिभत मदिरा पी कर मतवाला,

माँग माँगकर भ्रमरों के दल रस की मदिरा पीते हैं,

वादक बन मधु का विक्रेता लाया सुर-सुमधुर-हाला,

साकी बन आती है प्रातः जब अरुणा ऊषा बाला,

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डाँट डपट मधुविक्रेता की ध्वनित पखावज करती है,

डंडों की जब मार पड़ेगी, आड़ करेगी मधुशाला।।७६।

मेरी जीव्हा पर हो अंतिम वस्तु न गंगाजल हाला,

पर मै वह रोगी हूँ जिसकी एक दवा है मधुशाला।।७८।

हाथ स्पर्श भूले प्याले का, स्वाद सुरा जीव्हा भूले

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