Hindi poetry - An Overview
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने, बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला, आह भरे
मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने, बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला, आह भरे